2023

खजाने की खोज

एक बार की बात है, एक लड़की जिसका नाम सारा था । वह एक घने जंगल के बाहर के एक छोटे से गांव में रहती थी। उसके घर में वह और उसकी मा रहती थी,वो बीमार थी जिस कारण,सारा को ही काम करना पढ़ रहा था,वह जिज्ञासु और साहसी थी।एक दिन वह लकड़िया काटके जंगल से लौट रही थी की वह रास्ता भटक गई और बहुत देर तक रास्ता खोजने पर भी उसे रास्ता नहीं मिला और वह थकी हुई, एक पेड़ के पास रखे हुए लोहे की संदूक के पास बैठ गई और एक गहरी सांस ली। अचानक, उसने अपने नाम को बुलाती हुई एक हल्की सी आवाज सुनी। उसने इधर उधर देखा लेकिन उसे कुछ नहीं देखा।

एक परी  उसके सामने था, जो एक सफेद कपड़े पहने हुए थी  और उसके पीछे सोने के पंख लगे हुए थे । सारा आश्चर्यचकित हो गई और नहीं जानती थी कि क्या करना है। परी ने उससे कहा की इस सन्दूक में खजाना है तुम वो ले लो,सारा ने कहा वो मेरा संदूक नहीं है मैं कैसे ले लूँ  ,जिसका है वो आके ले जाएगा| ये सुनकर परी  ने कहा मुझे तुमसे मदद चाहिए और कहा की यदि तुम मेरी मदद करोगी तो तुम्हारी माँ  के इलाज के लिए मैं तुम्हें पैसा दूँगी ।

सारा हैरान थी और उसने परी से पूछा कि वह उसकी कैसे मदद कर सकती है|तो परी  ने कहा की ये सन्दूक मेरा है और तुम इस सन्दूक को खोलने मेरी मदद करो|सारा ने कहा ये सन्दूक यदि आपका है तो चाबी भी आपके पास ही होगी ,आप खुद ही क्यूँ नहीं खोल लेती |परी  ने कहा की ये सन्दूक मेरे पूर्वजों का है जिसे सब लूटना चाहते हैं ,लेकिन ये उसी को मिलेगा जो इसका हकदार है और वही खोल सकेगा जिसे इस खजाने के लालच नहीं है|सारा ने कहा ठीक है मैं आपकी मदद करूंगी| परी  ने कहा , “_तुम्हें संदूक को खोलने के लिए तीन जादुई चाबियाँ ढूंढनी होगी। चाबियों की खोज करने के लिए तुम्हें यहां से निकलना होगा।

तुम्हारी पहली चाबी जल के नीचे छुपी है।”

सारा परी का धन्यवाद देकर चाबियों की तलाश में निकल पड़ी। सारा को नदी में जाकर चाबी ढूंढनी थी लेकिन उसे तैरना नहीं आता था,वह सोच ही रही थी की नदी में से चाबी कैसे लाई जाए,तभी उसका पैर फिसल गया और वह नदी में जा गिरी,वहाँ उसे कुछ चमक देखाई पड़ी,उसे ध्यान से देखा तो वह सोने की चाबी थी उसने जैसे ही चाबी को उठाया,वह नदी में अपने आप तैरने लागि और ऊपर या गई,वह आश्चर्यचकित थी|

अब उसे दूसरी चाबी ढूंढनी थी, जो एक विशाल सांप द्वारा रक्षित की जाती थी। सारा घबराई हुई थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सांप को ढूंढा और अपनी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया सांप तो बिल में रहते हैं तो उसने बिल ढूंढना शुरू किया,कुछ समय बाद वह एक बड़ी गुफा के पास आई जो की बिल्कुल बिल की तरह देख रहा था,सारा समाज नहीं पा रही थी की इतना बाद बिल किसका है ,तब हुंकारने की आवाज सुन सारा डर दाई और उसकी आँकें फटी की फटी रह गई,उसने देखा उस बिल के बाहर एक बहुत बाद सांप बिल्कुल अजगर जैसा । तब उसे समाज आया की यही वो सांप है जो दूसरी चाबी की रक्षा कर रहा है|उसने अपने हाथ जोड़े और कहा हे नाग देवता कृपया मुझे बिल के अंडेर जाने डॉइन मुझे संदूक की दूसरी चाबी चाहिए है|

नाग देवता ने कहा की तुम्हें एक सवाल का जवाब देना होगा तभी तुम अंदर जा सकती हो|

सवाल है इंसान सबसे ताकतवर कैसे बन सकता है? बहुत सोचने के बाद सारा को अपनी मा की बात याद आई की दुनिया में सबसे ताकतवर इंसान वही है जिसके पास किसी भी काम को करने का द्रढ़निश्चय है ,वह कठिन से कठिन काम भी बड़ी ही सरलता से पूरा कर सकता है |सारा ने जवाब दिया इंसान का द्रढ़निश्चय ही उसे हर काम को करने में सहायता करता है|जैसे ही सारा ने जवाब दिया नागदेवता गायब हो गए और बिल का द्वार खुल गया,सारा ने अंदर  जाकर दूसरी चाबी उठा की,

तीसरी चाबी पाने के लिए सारा को पहाड़ चड़कर जाना था ,वह पहाड़ छड़ने लगी लेकिन बार बार गिर जाती थी ,लेकिन फिर पूरी हिम्मत लगाकर फिर छड़ने की कोशिश करती|100 बार कोशिश करने के बाद सारा पहाड़ की सबसे उची चोटी पे पहुचने ही वाली थी की वह फिर से गिय गई,इस बार इतने जोर से गिरी की नीचे एक पत्थर का झुंड था उसके पास जाकर गिर गई ,और वह दर्द से कराहने लगी ,तभी उसे कुछ तेज प्रकाश नजर आया,तो उसने देखा की पत्थर के झुंड में एक चाबी छिपी हुई थी,जैसे ही उसने चाबी को उठाया,उसके शरीर का दर्द दूर हो गया|तब उसे समझ  आया की की उसने बार बार पहाड़ से गिरने पर भी हार नहीं मानी  इसलिए उसे ये चाबी मिली है|

तीनो चाबियाँ लेकर वह सन्दूक के पास पहुची तो उसने देखा वहाँ परी  नहीं हैं ,बहुत पुकारने पर भी उसे कोई देखाई नई दिया,वह बैठकर रोने लगी ,तब उसे जोर से कुछ आवाज और प्रकाश नजर आया जिसमें से आवाज आई की सारा सन्दूक का खजाना तुम्हारा है क्यूंकी तुम इसकी हकदार हो |और वह प्रकाश दूर हो गया ,सन्दूक को लेकर वह आपने गाँव गई और अपनी मा को सब बताया,उसकी मा बहुत खुश हुई,मा का इलाज हो गया और वो स्वस्थ हो गई,दोनों मा बेटी प्रेम से अपनाजीवन  जीने लगे और जब भी किसी को गाँव में धन की जरूरत पड़ती  तो सारा उनकी हमेशा मदद करती थी|

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सत्य का महत्व

एक समय की बात है, एक छोटे से शहर में राजू मोहन और गीता  नाम के तीन सबसे अच्छे दोस्त रहते थे। वे अपने शरारती कारनामों और हँसी  ठिठोली के लिए जाने जाते थे। एक सुन्दर सुबह,वे अपने शहर के बाहरी इलाके की खोज करते समय, उनकी नज़र घने जंगल में बसे एक पुराने सुनसान घर पर पड़ी। उनके दिलों में उत्साह भर गया क्योंकि उन्होंने अपने अब तक के सबसे साहसी साहसिक कार्य पर निकलने का फैसला किया।

उनकी जिज्ञासा ने उनको उस घर के अंदर देखने के लिए मजबूर किया , और ध्यानपूर्वक वे वह रहस्यमय  घर में प्रवेश करने के रास्ते पर बढ़ गए। अंदर, उन्होंने एक प्राचीन  नक्शे   को एक दिब्बे में छुपा हुआ पाया। यह नक्शा  छुपे  हुए खजाना का रास्ता दिखा रहा था |वो तीनों नक्शे के बताए हुए रास्ते को ध्यान से देखा तो पाता चले की ये खजाना एक   “सत्य रक्षक ‘ कहलाने वाले एक प्राणी की संरक्षा में था। उन तीनों दोस्तों ने इस नक्शे की संकेतों का पालन करने का निश्चय किया।

 

उनका सफर खतरनाक पहाड़ियों, घने जंगलों, और जोखिमपूर्ण नदियों के माध्यम से गुजरता रहा। सफर के बीच, उन्होंने अपने साहस और सहयोग की परीक्षण करने वाली कई चुनौतियों का सामना किया। हालांकि, उनके सफर के दौरान कुछ अजीब घटनाएँ घटित हो गईं – सत्य रक्षक विभिन्न रूपों में उनके सामने प्रकट हो गए, जो उनके मार्ग पर मार्गदर्शन करते रहे।

पहला पड़ाव  पहाड़ की तलहटी से शुरू हुआ , जहां सत्य रक्षक  एक बुद्धिमान बूढ़े उल्लू के रूप में सामने आया था। इसने उन्हें आगे आने वाले खतरों के बारे में आगाह किया और हमेशा सच बोलने के महत्व पर जोर दिया। उल्लू ने समझाया कि जिस ख़ज़ाने की उन्होंने तलाश की है वह केवल उन लोगों के सामने प्रकट होगा जिनके पास साफ दिल है और ईमानदारी से रहते हैं। इस नए ज्ञान के साथ, तीनों ने अपनी पूरी यात्रा के दौरान सत्य के मूल्य को बनाए रखने की कसम खाई

जैसे ही वे घने जंगल से गुज़रे, सत्य रक्षक  के साथ उनकी दूसरी मुलाकात हुई। इस बार, यह एक रहस्यमय बात करने वाले पेड़ के रूप में दिखाई दिया। पेड़ ने उन्हें खुद के प्रति सच्चे रहने और कभी भी झूठ या धोखे के आगे न झुकने का महत्व सिखाया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि असली खजाना भौतिक धन-संपदा में नहीं, बल्कि दोस्ती के पवित्र बंधन और एक-दूसरे के प्रति दिखाई गई ईमानदारी में निहित है।

 

अंततः, कई हफ्तों के चुनौतीपूर्ण साहसिक कार्य के बाद, वे मानचित्र पर अंकित गुप्त स्थान पर पहुँच गए। वहाँ, एक गुप्त गुफा के मध्य में, उन्हें सोने और रत्नों से चमकता हुआ एक संदूक मिला। जैसे ही उन्होंने संदूक खोला, वे भौतिक खजाने नहीं बल्कि व्यक्तिगत दर्पण देखकर आश्चर्यचकित रह गए। प्रत्येक दर्पण उन लोगों की आंतरिक सच्चाई को प्रतिबिंबित करता है जो उसके सामने खड़े थे।

इस रहस्योद्घाटन ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि उन्हें अपनी यात्रा के वास्तविक उद्देश्य का एहसास हुआ। खजाना उनके धन के लिए नहीं था; यह किसी के जीवन में सत्य के मूल्य को समझने का एक सबक था। दर्पणों ने उन्हें न केवल दूसरों के प्रति बल्कि स्वयं के प्रति भी ईमानदारी के महत्व की याद दिलायी। उन्होंने अपने सच्चे स्वरूप को अपनाया और अपने बीच साझा की गई दोस्ती के बंधन को हमेशा संजोकर रखने की कसम खाई।

जैसे ही वे वापस आये, सत्य रक्षक  आखिरी बार प्रकट हुआ, इस बार प्रकाश की एक उज्ज्वल किरण के रूप में। इसमें उनकी बहादुरी और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए उनकी सराहना की गई। तीनों दोस्तों ने रक्षक को विदाई दी, अपने दिलों में उन सबक और यादों को लेकर जो जीवन भर याद रहेंगे

और इसलिए राजू मोहन और गीता  अपने शहर में लौट आए, अपनी साहसिक यात्रा से हमेशा के लिए बदल गए। वे अक्सर अपने रोजमर्रा के जीवन में सत्य के महत्व को संजोते हुए अपने अनुभवों को याद करते थे। उनकी कहानी उनके शहर में एक मिसाल बन गई, जिसने दूसरों को ईमानदारी के मूल्य और सच्ची दोस्ती की शक्ति को अपनाने के लिए प्रेरित कि

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